Teacher’s Day

अध्यापक दिवस
अध्यापक दिवस एक राष्ट्रीय कार्यक्रम है, जो केवल भारत में मनाया जाता
है । यह हर वर्ष ५ सितम्बर को मनाया जाता है। यह दिन हमारे देश के भूतपूर्व
● राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म दिवस भी है। डॉ. राधाकृष्णन स्वयं
एक आदर्श अध्यापक थे । इसी कारण इस श्रेष्ठ गरिमामय पद को सम्मान प्रदान
करने के लिए इनके जन्म दिवस को अध्यापक दिवस के रुप में मनाने का निर्णय।
किया गया ।

इयत्ता दुसरी ऑनलाईन टेस्ट*
https://www.studyfromhomes.com/p/blog-page_11.html
📋 इयत्ता तिसरी ऑनलाईन टेस्ट
https://www.studyfromhomes.com/p/blog-page_6.html
📋 इयत्ता चौथी ऑनलाईन टेस्ट
https://www.studyfromhomes.com/p/blog-page_28.html
📋 इयत्ता पाचवी ऑनलाईन टेस्ट
https://abhyasmajha.com/class-5-th-online-test-series/
📋 इयत्ता सहावी ऑनलाईन टेस्ट
https://abhyasmajha.com/class-6-th-online-test-series/
📋 इयत्ता सातवी ऑनलाईन टेस्ट
https://abhyasmajha.com/class-7-th-online-test-series/


अध्यापक दिवस मनाने का मुख्य उददेश्य समाज का ध्यान इस व्यवसाय
के अतिरिक्त अन्य कोई ऐसा व्यवसाय नहीं है, जिसे एक दिवस के रूप में मनाया।
जाए या जिसे इतना अधिक सम्मान या महत्व दिया जा सके। यह अध्यापन व्यवसाय
के लिए हमारे देश का सबसे अलग तरीके का एक सम्मानजनक पुरस्कार है।
इस अवसर पर लगभग एक सौ अध्यापकों को पुरस्कृत किया जाता है। इन्हें
प्राथमिक, उच्च प्राथमिक एवं माध्यमिक विद्यालयों, पूर्वी विद्यालयों और कॉलेजों में
से चुना जाता है तथा उन्हें उनके श्रेष्ठ योगदान के लिए एक अभिज्ञान प्रमाण-पत्र
के साथ कुछ नगद रुपये पुरस्कार के रुप में देकर उन्हें सम्मानित किया जाता है।
यह पुरस्कार जो राष्ट्रपति व्दारा दिया जाता है । उसे अध्यापकों के लिए राष्ट्रीय
पुरस्कार के नाम से जाना जाता है। यह विनम्र अध्यापकों का श्रेष्ठ सम्मान हैं। इस
पुरस्कार के लिए अध्यापकों का चयन अनेक आधारों या अनेक दृष्टिकोणों से किया
जाता है, जैसे-अध्यापक के व्यक्तिगत चरित्र और उसके आचरण या व्यवहार के
व्दारा, उसकी व्यवसायिक कुशलता या व्यवहार के व्दारा, उसकी व्यवसायिक
कुशलता, उसकी मिलन सारिता, उसके व्दारा उत्पारित परिणाम, अपने व्यवसाय के क्षेत्र
में एक लेखक के रूप में, शिक्षा के क्षेत्र में उसके व्दारा किये गये शोध कार्य के लिए
। लोगों के बीच एक महत्वपूर्ण व्यक्ति के रुप में उसकी प्रसिध्दी के व्दारा,निरक्षरता
को जड से दूर
करने की उसकी क्षमता के व्दारा तथा उसके व्दारा पाठयक्रम के
अतिरिक्त उसके हगामी क्रियाओं में भाग लेने की गणना के व्दारा । इस प्रकार यह
राष्ट्रीय पुरस्कार ाप्त करना इतना आसान नहीं हैं।

🔘 5 वी नवोदय सराव संच*
https://www.dnyaneshwarkute.com/p/blog-page.html
🔘 8 वी नवोदय सराव संच
https://www.dnyaneshwarkute.com/p/navodaya-exam-8-th.html
📝 निबंध लेखन मराठी
https://www.studyfromhomes.com/p/blog-page_1.html
📝 निबंध लेखन इंग्रजी
https://www.studyfromhomes.com/search/label/English%20Essay?&max-results=7


राष्ट्रीय पुरस्कार के अतिरिक्त राज्यों के व्दारा भी अध्यापकों को पुरस्कार दिया
• जाता है। कुछ जिलों में आदर्श अध्यापकों को प्रोत्साहन देने के लिए जिला स्तर

पर भी पुरस्कार दिया जाता है। पुरस्कार देना एक अच्छा और प्रेरणादायक कार्य है
इस पुरस्कार को देने का मुख्य उद्देश्य यही है कि समाज के व्दारा इस श्रेष्ठ
व्यवसाय के महत्त्व को जाना जाए और उसे पूर्ण प्रतिष्ठा प्रदान की जाए सभी लोंगों
को इस व्यवसाय के महत्त्व को जानना चाहिए क्योंकि अध्यापक ही वह व्यक्ति होता है
जो किसी देश की नींव को अपने उच्च एवं श्रेष्ठ ज्ञान के व्दारा मजबूत करता है। बच्चे
हमारे देश के भविष्य है, और यही देश की एवं समाज की उन्नति एवं प्रगति में सहायक
होते हैं। अत इन बालकों एवं बालिकाओं को शिक्षित होना, अच्छा ज्ञान प्राप्त करना
तथा अच्छी शिक्षा मिलना आवश्यक है। इसके लिए अच्छे, योग्य एवं आदर्श अध्यापकों
की आवश्यकता होती है। एक योग्य एवं आदर्श अध्यापक ही हमारे देश के वातावरण
एवं स्थिति के अनुरुप बालक एवं बालिकाओं का सही मार्ग दर्शन कर सकता है,
अध्यापक ही देश की प्रगति एवं उन्नति में सहयोग देने के लिए श्रेष्ठ, योग्य एवं बुध्दिमान
नागरिकों का निर्माण कर सकता हैं। इसलिए देश के नागरिकों को आदर्श अध्यापको
के महत्व को समझकर उन्हें सम्मानित करना चाहिए तथा उनके कार्य में हाथ बटाना
चाहिए ।
बहुत से ऐसे अध्यापक होते हैं, जिन्हें कोई पुरस्कार नहीं मिलता किन्तु फिर भी
वे एक आदर्श अध्यापक होते है। अपनी स्वार्थ रहित सेवा, कलंकरहित चरित्र और
दोषरहित प्रेम एवं स्नेह के व्दारा छात्रों एवं लोगों के बीच आदर और स्नेह प्राप्त करते
है। समाज के व्दारा दिया गया सम्मान ही उनकों वास्तविक सुख प्रदान करने वाला
पुरस्कार होता है। डॉ. राधाकृष्णन ने स्वयं ही कहा हैं कि अध्यापन स्वयं में ही एक
पुरस्कार हैं । यह अध्यापन एक अध्यापक को जितनी अधिक संतुष्टि प्रदान करता है
उसकी तुलना नहीं की जा सकती। एक अच्छा अध्यापक चाहे जहाँ भी रहे छात्रों व्दारा
हमेशा याद किया जाता है ।

Leave a Comment