Hamare Aadarsh – Sarojini Nayadu

सरोजिनी नायडू
सरोजिनी नायडू का जन्म १३ फरवरी सन् १८७८ ई. को हैदराबाद (आन्ध्र
प्रदेश) में हुआ । इन के पिता श्री अघोरनाथ चट्टोपाध्याय एक कुशल वैज्ञानिक और
बडे विव्दान थे। उन्होंने हैदराबाद में निजाम कॉलेज की स्थापना की और वर्षों तक
उस कॉलेज के प्रिंसिपल रहे।


सरोजिनी को बचपन से ही पुस्तकों में बडी रुचि थी । यही कारण है कि उन्होंने
बारह वर्ष की छोटी-सी आयु में हाई स्कूल की परीक्षा पास कर ली । उन्हें बचपन
से ही कविता पढने व गीत गाने का बडा शौक था। तभी तो उन्होंने तेरह वर्ष की
आयु में अंग्रेजी की एक सुंदर कविता लिखकर सब को आश्चर्यचकित कर दिया।
इनकी प्रतिभा से प्रभावित होकर हैदराबाद के निजाम ने इन्हें अपने खर्च पर उच्च शिक्षा
के लिए इंग्लैंड भेज दिया । वहाँ भी वे पढाई के साथ-साथ कविताएँ लिखती
रहीं ।

भारतमें वापिस लौटने पर इन्होंने श्री गोविन्द राजुल नायडूसे शादी कर ली।
जब सरोजिनी इंग्लैंड से भारत लौटीं तब तारे सारे देश में स्वतन्त्रता
आन्दोलन की बागडोर गाँधी जी के हाथों में थी। सन् १९३० में गांधी जी ने नमक
सत्याग्रह आंदोलन शुरु किया । उस समय श्रीमती नायडू ने इस आन्दोलन को सफल
ने बनाने के लिए कई स्थानों पर नमक बनाया । फलस्वरूप इन्हें कई बार जेल-यात्रा भी
करनी पड़ी।


सरोजिनी नायडू एक कुशल वक्ता थीं। उनकी वाणी में जादू था । लोग इनके
भाषणों को सुनने के लिए उमड पडते थे । इनके योग्यता,देश-सेवा ओर प्रतिभा से
प्रभावित होकर इन्हें एक बार कांग्रेस ने अपनी संस्था का अध्यक्ष चुना । उनका सारा
जीवन आजादी की लडाई व कांग्रेस के आदर्शों का प्रचार करने में बीता।
देश स्वतन्त्र हुआ। उन्हें उत्तर प्रदेश का राज्यपाल बनाया गया। वे स्वतन्त्र
भारत की पहली महिला राज्यपाल थीं । सरोजिनी एक महान् कवयित्री भी थीं।
कविता-पाठ करते समय उनका मधुर स्वर कोयल की तरह लगता था। तभी लोग
उन्हें भारत-कोकिला कह कर याद करते हैं ।उनका निधन २ मार्च सन् १९४९ को
हुआ।

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